उत्तराखंड में मौसम का कहर जारी: धारचूला में बादल फटने से भारी तबाही
उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश के चलते प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार शाम को धारचूला क्षेत्र में बादल फटने की घटना ने तबाही मचा दी। इस घटना के कारण कूलागाड़ नाला, जो धारचूला से लगभग 8 किलोमीटर दूर बहता है, उफान पर आ गया। भारी मात्रा में पानी और मलबा नाले में आने से इसके किनारे बसे इलाकों में तबाही का मंजर देखने को मिला।
सबसे बड़ी समस्या टनकपुर-पिथौरागढ़-तवाघाट हाईवे पर बने मोटर पुल के बह जाने से उत्पन्न हुई। इस पुल के बहने से धारचूला का संपर्क टनकपुर और पिथौरागढ़ से कट गया है, जिससे स्थानीय लोगों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस महत्वपूर्ण पुल के टूट जाने से इलाके में आपूर्ति और परिवहन पर भी व्यापक असर पड़ा है।
कूलागाड़ नाले में आए मलबे ने काली नदी का प्रवाह भी रोक दिया है, जिससे नदी में एक झील बन गई है। इस झील के बनने से काली नदी का जलस्तर घट गया है, लेकिन इसके फटने का खतरा मंडरा रहा है। झील के फटने पर भारी जल प्रवाह से नदी किनारे की बस्तियों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है, जिससे वहां के निवासियों में दहशत का माहौल है। नदी किनारे बसे गांवों के लोग लगातार अनहोनी की आशंका से भयभीत हैं और सुरक्षित स्थानों की ओर जाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके अलावा, कूलागाड़ मोटर पुल के बह जाने से धारचूला से चीन सीमा तक का संपर्क भी भंग हो गया है। इस क्षेत्र का रणनीतिक महत्व होने के कारण यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है। इस पुल के टूटने से ना केवल स्थानीय लोग प्रभावित हुए हैं, बल्कि सैन्य गतिविधियों पर भी असर पड़ा है।